थाइरायड असंतुलन के कारण हो सकती है निःसंतानता, आईवीएफ से कैसे हो सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में थायराइड के केसेज बढ़े हैं इसके अन्य दुष्प्रभाव होने के साथ निःसंतानता की समस्या भी हो सकती है और यदि महिला गर्भवती हैं तो गर्भपात का खतरा भी हो सकता है। महिला जब गर्भधारण की योजना बनाती हैं या उसे गर्भधारण हो गया है दोनों स्थितियों में डॉक्टर द्वारा थायराइड की जांच के लिए कहा जाता है। इसकी गड़बड़ी को ज्यादातर लोग सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन इस समस्या का बढ़ना आपको मुश्किल में डाल सकता है।

थायराइड शरीर की स्वास्थ्य स्थिति पता लगाने का एक जरिया है। यह छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण ग्रंथि है जो शरीर की ज्यादातर मैटाबोलिक क्रियाओं को प्रभावित करती है। थायराइड का असामान्य उत्पादन निःसंतानता , वजन में बढ़ोतरी, वजन में कमी तथा थायराइड कैंसर का कारण बन सकती है।

महिलाओ में यह निःसंतानता और गर्भपात के सामान्य कारणों में से एक है। रिसर्च के अनुसार थायराइड की गड़बड़ी के कारण 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं में माँ बनने में समस्या होती है । तीस वर्ष तक उम्र की महिलाओं में इसका औसत कम हैं लेकिन इससे अधिक उम्र में करीब 10 फीसदी महिलाएं प्रभावित होती हैं। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक हैं । थायराइड ग्रंथि से हॉर्मोंस का आसामान्य स्त्राव अंडोत्सर्ग के दौरान अंडाशय से अंडाणुओं की निकासी में बाधा और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

हाइपरथायराइडिज्म

थायराइड हार्मोंस की बहुत अधिक मात्रा हाइपरथायराइडिज्म के नाम से जानी जाती है। ऑटोइम्यून बीमारियां, गलत दवा का सेवन, लीथियम का उपयोग, परिवार में किसी को थायराइड असंतुलन की समस्या रही हो तो भी यह परेशानी हो सकती है। इससे महिला की कामेच्छा में कमी, माहवारी की अनियमितता, गर्भधारण में मुश्किल, अवसाद, मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव, दिल की धड़कन सामान्य से ज्यादा होना, कब्ज, चिड़चिड़ापन, कंठ के नीचे स्थित थायराइड में सूजन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण-

  • थकान लगना या ऊर्जा में कमी महसूस होना
  • बाल और त्वचा सूखी व खुरदुरी लगना
  • माहवारी अनियमित या ज्यादा आना

हाइपोथायराइडिज्म-

आयोडिन एक महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो थायराइड हार्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक है । यह हमारी डाइट का प्रमुख पोषक तत्व है। आयोडिन की कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो जाता है । आईए जानते हैं हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण के बारे में

महिलाओ में हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण-

  • असामान्य रूप से वजन बढना
  • माहवारी संबंधी समस्या
  • याददाश्त कमजोर होना
  • थकान व मांसपेशियों में कमजोरी
  • अवसाद
  • बाल झड़ना
  • त्वचा का ड्राय हो जाना
  • हृदय की धड़कनें धीमी होना
  • ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होना
  • हाइपोथायराइडिज्म से निःसंतानता का खतरा

हाइपोथायराइडिज्म निःसंतानता और गर्भपात के प्रमुख कारणों में एक है। थायराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में हॉर्मांस का उत्पादन नहीं कर पाती है जिससे अंडाशय से अंडों की रिलीज करने में बाधा आती है जो निःसंतानता का कारण बन सकती हैं। महिलाओं में आयोडिन की कमी का उनकी प्रजनन तंत्र की

कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है। हाइपोथायराइडिज्म से प्रभावित महिलाएं गर्भधारण कर भी लें तो गर्भ का विकास प्रभावित होने की आशंका रहती है।

हाइपोथायराइडिज्म का उपचार – हाइपोथायराइडिज्म के इलाज की बात करें तो इसको ठीक करने के लिए कई दवाओं का सहारा लेना पड़ सकता है। सामान्यतया हॉर्मोन रिप्लेसमेंट के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इससे राहत मिल सकती है। धुम्रपान से दूरी बनाएं, तनाव नहीं रखे, रोजाना व्यायाम करें, आयोडिन युक्त आहार लें, बीएमआई के अनुसार वजन को संतुलित रखें, फ्लोराइड युक्त पानी नहीं पीए, अधिक वसायुक्त भोजन नहीं करें। साधारण जीवनशैली अपना कर और समय – समय डॉक्टर से कन्सल्ट करके जांचे करवानी चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान थायराइड का महत्व-

प्रेग्नेंसी में भ्रूण का विकास महिला के थायराइड हार्मोन से नियन्त्रित होता है । गर्भावस्था में इससे जुड़ी परेशानियां सामान्य बात है । गर्भावस्था के छठे सप्ताह के दौरान करीब 25 प्रतिशत महिलाओं में हाइपरथायराइडिज्म होने की संभावना रहती है। गर्भनाल और भ्रूण के विकास के लिए थायराइड हार्मोस का स्त्राव आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान भ्रूण व महिला की बढ़ी हुई मैटाबोलिक जरूरतों की पूर्ति के लिए स्त्राव का स्तर 50 प्रतिशत तक बढना जरूरी है लेकिन जब महिला के शरीर से आवश्यकतानुरूप पर्याप्त हार्मोंस का स्त्राव नहीं कर पाता है तो गर्भपात, समय पूर्व प्रसव, संतान का कम वजन और प्रसव के बाद की समस्याओं का जोखिम बढ जाता हैं।

थाइरायड के असंतुलन में धूम्रपान, आयोडीन की कमी, बदलती लाइफस्टाइल, खराब खानपान, एक्सरसाइज की कमी, तनाव और पूरा आराम न मिलना प्रमुख कारण हैं।

आईवीएफ कैसे लाभदायक – थायराइड असंतुलन होने पर प्राकृतिक गर्भधारण में समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसी स्थिति में आईवीएफ तकनीक से अच्छे परिणाम आ सकते हैं। आईवीएफ में थायराइड पेशेन्ट को दी जाने वाली दवाइयों के कारण भ्रूण के विकास और माँ दोनों को किसी तरह नुकसान नहीं होता है। इसमें भ्रूण में किसी तरह का विकार तो नहीं है यह देखने की तकनीकें भी उपलब्ध हैं। कई मामलों में दम्पती थायराइड नियन्त्रित करने के उपचार के बाद नेचुरली कंसीव करना चाहते हैं लेकिन लाभ नहीं होने पर आईवीएफ की ओर रूख कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *