एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण, कारण और इलाज

प्रेगनेंसी की खबर महिला को काफी खुषी देती है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि ये तो एक्टोपिक यानि अस्थानिक गर्भावस्था है तो वह निराश हो जाती है। महिला के शरीर में निषेचन की प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब में होती है । लेकिन एक्टोपिक प्रेगनेंसी के ज्यादातर मामलों में निषेचन यानि फर्टिलाइजेशन के बाद एम्ब्रियो गर्भाशय में विकसित होने के बजाय ट्यूब में ही विकसित होने लगता है इससे ने केवल प्रेगनेंसी को खतरा होता है बल्कि महिला को भी समस्या हो सकती है। इस लेख में हम एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण, कारण, जांच और इलाज के बारे में महत्वपूर्ण बातों को समझेंगे।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या है (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi)

प्रेगनेंसी के लिए प्रयास करने वाले और प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद कई मरीजों को यह पता नहीं होता है कि उसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी हुई है। महिला के प्रेगनेंसी की शुरूआत उसके फैलोपियन ट्यूब में शुक्राणु और अण्डे के मिलन के साथ होती है। ट्यूब में फर्टिलाईजेषन के बाद भ्रूण गर्भाशय में जाने की बजाय बाहर कहीं विकसित होने लगता है तो ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहलाती है।

एक्टोपिक सामान्य घटना नहीं है। इसमें भ्रूण गर्भाशय में जाने के बजाय ज्यादातर मामलों में ट्यूब में ही विकसित होने लगता है। इसे ट्यूबल प्रेगनेंसी भी कहते हैं। कुछ मामलों में ये प्रेगनेंसी ओवरी यानि अंडाशय, पेट या सरविक्स में हो सकती है।

भारत में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कुछ तथ्य

दुनियाभर में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के केस बहुत कम होते हैं। कुल प्रेगनेंसीज के 1 से 2 प्रतिशत मामलों में ही यह समस्या सामने आती है। भारत में भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी के

मामले ज्यादा देखने में नहीं आते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार सिर्फ 0.91 प्रतिशत महिलाएं इससे प्रभावित होती हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी कितने दिन में पता चलता है

अस्थानिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेगनेंसी) के बारे में शुरूआत में ज्यादातर महिलाओं को पता नहीं चलता है। लक्षणों के आधार पर 5 से 14 सप्ताह के बीच इसके बारे में पता चल सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में 6 सप्ताह की प्रेगनेंसी में पता चल सकता है क्योंकि महिला को पीरियड नहीं आने के दो सप्ताह में लक्षण महसूस होने लगते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी कैसे होती है? एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण (Ectopic Pregnancy Causes in Hindi)

इसके सटिक कारणों के बारे में महिलाओं को पता नहीं चलता है। लेकिन इसके कुछ मुख्य कारण हो सकता है –

1. पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजिज – ये औरत के विभिन्न प्रजनन अंगों में होता है, जिनमें अंडाशय, पैल्विस और शामिल है। इन अंगों में किसी तरह का संक्रमण होने की स्थिति में महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है।

2. एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांमिटेड डिजिज) – कई केसेस में महिलाओं को यौन संचारित रोगों यानि एसटीडी के कारण एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है। ज्यादातर मामलों में एसटीडी यौन संबंधों के माध्यम से एक शरीर से दूसरे शरीर में संचारित होते है।

3. पेल्विक सर्जरी – इस बात की संभावना है कि महिला की पैल्विक सर्जरी हुई है तो उसकी पैल्विस यानि श्रोणि में घाव रह गए हों। इससे कई मामलों में इंफेक्शन का खतरा रहता है।

4. फैलोपियन ट्यूब में इंफेक्शन – यदि किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण या सूजन होती है तो यह अंडे को गर्भाशय तक जाने नहीं देती, जिस कारण अस्थानिक गर्भावस्था हो सकती है।

5. फैलोपियन ट्यूब में विकार – महिला की फैलोपियन ट्यूब में कोई विकार होना या उसका क्षतिग्रस्त होना अस्थानिक गर्भावस्था का कारण बन सकता है। ये फर्टिलाइज्ड एग को गर्भाशय में जाने से रोकता है इस कारण वह या तो ट्यूब या कहीं ओर विकसित होने लगता है।

6. पूर्व में एक्टोपिक प्रेगनेंसी – यदि किसी महिला को पहले एक्टोपिक प्रेगनेंसी हुई है तो इस बात की संभावना है कि उसे फिर से एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो।

7. धूम्रपान – फेमिली प्लानिंग से पहले कोई महिला बहुत अधिक धूम्रपान करती है तो धूम्रपान का असर उसकी प्रेगनेंसी पर पड़ सकता है और ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कारण बन सकता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण (Ectopic Pregnancy Symptoms in Hindi)

आमतौर पर महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में पता नहीं चल पाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण सामान्य गर्भावस्था के लक्षणों के समान ही है इसलिए इसमें अंतर कर पाना मुश्किल होता है। इन लक्षणों में पीरियड नहीं आना, स्तन मे दर्द, जी मचलना आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा एक्टोपिक प्रेगनेंसी के निम्न लक्षण हो सकते हैं-

1. वेजाइना से ब्लीडिंग – एक्टोपिक प्रेगनेंसी का एक लक्षण योनि से रक्तस्त्राव होना हो सकता है।

2. श्रोणी यानि पैल्विक क्षेत्र में दर्द होना – प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद शुरूआती दिनों में महिला को पैल्विक में असहनीय दर्द होना एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते हैं।

3. सामान्य से अधिक पेट में ऐंठन होना – सामान्यतया प्रेगनेंसी के दौरान पेट में ऐंठन होना सामान्य माना जाता है लेकिन अधिक ऐंठन हो रही हो तो डॉक्टर से कन्सल्ट करना चाहिए क्योंकि ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते हैं।

4. चक्कर आना या कमजोरी – गर्भघारण होने के बाद चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना नोर्मल है लेकिन यह एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण भी हो सकते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का निदान (Diagnosis of Ectopic Pregnancy in Hindi)

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि महिला प्रेगनेंट है या नहीं । प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए डॉक्टर महिला के रक्त का सेम्पल लेकर शरीर में प्रेगनेंसी हार्मोन यानी ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (बीटा एचसीजी) के लेवल की जांच करते हैं। प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में जांच की जा सकती है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी का जोखिम नजर आने पर प्रेगनेंट महिला का अल्ट्रासाउण्ड किया जाता है इसमें महिला के पैल्विक एरिया की जांच की जाती है। जांच में फर्टिलाइज्ड एग कहां है ये देखा जाता है । सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) में एक्टोपिक प्रेगनेंसी दिखने पर डॉक्टर आगे के उपचार के लिए निर्देशित कर सकते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज (Treatment of Ectopic Pregnancy in Hindi)

एक्टोपिक प्रेगनेंसी से प्रभावित महिलाओं को उपचार संभव है। हालांकि उपचार विकल्प का चयन औरत की शारीरिक स्थिति को देखकर किया जा सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी की स्थिति में कोई भी कदम उठाने से पहले डॉक्टर से बात करें। एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज समय पर करवाना चाहिए वरना भ्रूण व महिला दोनों को नुकसान हो सकता है। इसके इलाज के लिए दवाओं और सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है जो इस प्रकार हैं –

1. दवा के माध्यम से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज – दवा के माध्यम से महिला के एचसीजी हार्मोन लेवल की जांच की जाती है। हार्मोन का लेवल अधिक होने पर उसे मिथोट्रेक्सेट का इंजेक्शन लगाते हैं। फैलोपियन ट्यूब के ऊतकों को नष्ट करने ये इंजेक्शन दिये जाते हैं। इसके बाद फिर से एचसीजी हार्मोन का टेस्ट किया जाता है। अगर फिर से प्रेगनेंसी हार्मोन की मात्रा पायी जाती है तो डॉक्टर फिर से इंजेक्शन दे सकता है। सामान्यतया इंजेक्शन का असर खत्म होने के बाद यानि तीन महीनों बाद फिर से प्रेगनेंसी के लिए ट्राय करने की सलाह दे सकते हैं।

2. सर्जरी से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज – कई बार एक्टोपिक प्रेगनेंसी के मामले गंभीर हो जाते हैं और इस स्थिति में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। इसमें जनरल एनेस्थीसिया के बाद महिला के पेट में छोटे-छोटे तीन-चार चीरों के माध्यम से कैमरा और लाइट से टीष्यु की स्थिति की जांच की जाती है। सर्जरी उपकरणों की मदद से फैलोपियन ट्यूब के टीष्यु को हटाया जाता है। इस सर्जरी से ठीक होने में एक से डेढ महीने का समय लग सकता है।

अगर किसी केस में महिला को एक्टोपिक प्रेगनेंसी में ज्यादा रक्रस्राव होता है या फिर फैलोपियन ट्यूब को नुकसान होता है तो डॉक्टर तुरंत सर्जरी लैप्रोटोमी करने के लिए कह सकते हैं। आमतौर पर यह गंभीर स्थिति में ही की जाती है। ट्यूब क्षतिग्रस्त होने पर उसे निकाल दिया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *